पीएमएमएसवाई-क्या-नया
'नीली क्रांति: मात्स्यिकी का एकीकृत विकास और प्रबंधन' इसकी अपार संभावनाओं को देखते हुए, माननीय
प्रधानमंत्री ने मात्स्यिकी क्षेत्र में "क्रांति" का आह्वान किया है और इसे "नीली क्रांति" नाम दिया है। अपनी
बहुआयामी गतिविधियों के साथ, नीली क्रांति मुख्य रूप से अंतर्देशीय और समुद्री, दोनों ही जलीय कृषि और
मात्स्यिकी संसाधनों से मात्स्यिकी उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है।
उद्देश्य
• आर्थिक समृद्धि के लिए ज़िम्मेदारी और सतत तरीके से समग्र मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करना
• नई तकनीकों पर विशेष ध्यान देते हुए मात्स्यिकी का आधुनिकीकरण करना
• खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना
• रोज़गार सृजन और निर्यात आय बढ़ाना
• समावेशी विकास सुनिश्चित करना और मछुआरों और जलीय कृषि किसानों को सशक्त बनाना
नीली क्रांति पर केंद्र प्रायोजित योजना: मात्स्यिकी का एकीकृत विकास एवं प्रबंधन।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन विभाग ने सभी मौजूदा योजनाओं को नीली
क्रांति के अंतर्गत समाहित करके इस योजना का पुनर्गठन किया है। पुनर्गठित योजना मात्स्यिकी के केंद्रित
विकास एवं प्रबंधन को बढ़ावा देती है, जिसमें अंतर्देशीय मात्स्यिकी, जलीय कृषि, गहरे समुद्र में मत्स्यन सहित
समुद्री मात्स्यिकी, समुद्री कृषि और राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा संचालित सभी
गतिविधियाँ शामिल हैं।
नीली क्रांति पर पुनर्गठित केंद्र प्रायोजित योजना: मात्स्यिकी का एकीकृत विकास और प्रबंधन, पाँच वर्षों के लिए
3000 करोड़ रुपए के कुल केंद्रीय परिव्यय पर तैयार की गई है। इसके निम्नलिखित घटक हैं:
(क) राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और इसकी गतिविधियाँ,
(ख) अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जलीय कृषि का विकास,
(ग) समुद्री मात्स्यिकी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और पोस्ट-हार्वेस्ट कार्यों का विकास,
(घ) मात्स्यिकी क्षेत्र के डेटाबेस और भौगोलिक सूचना प्रणाली का सुदृढ़ीकरण,
(ङ) मात्स्यिकी क्षेत्र के लिए संस्थागत व्यवस्था और
(च) पर्यवेक्षण, नियंत्रण और निगरानी (एमसीएस) और अन्य आवश्यकता-आधारित हस्तक्षेप।
(छ) मछुआरों के कल्याण की राष्ट्रीय योजना
2014-15 से 2017-18 के दौरान उपलब्धियाँ
▶ मात्स्यिकी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 1,84,695.13 लाख रुपए की केंद्रीय सहायता जारी (31 अगस्त 2018
तक)
▶ 29,127.73 हेक्टेयर क्षेत्र को जलीय कृषि के अंतर्गत लाने के लिए सहायता प्रदान की गई
▶ 89 लैंडिंग केंद्रों के निर्माण को मंजूरी दी गई
▶ 199 रेसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) को मंजूरी दी गई।
▶ जलाशयों और अन्य खुले जल निकायों में 7,636 केज/पेन्स की स्थापना को मंज़ूरी दी गई
▶ 389 मछली/झींगा हैचरी की स्थापना को मंज़ूरी दी गई
▶ 7,441 पारंपरिक शिल्प मोटर चालित
▶ समुद्र में मछुआरों के लिए 12,262 सुरक्षा किट स्वीकृत
▶ 544 पारंपरिक/आर्टिसनाल मछुआरों को सहायता प्रदान की गई
▶ 4 फिशिंग हार्बर/फिश लैंडिंग सेंटर्स स्वीकृत
▶ पोस्ट हार्वेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं जैसे आइस प्लांट्स और कोल्ड स्टोरेज की 318 इकाइयों को मंज़ूरी दी
गई
▶ फिश ट्रांसपोर्टेशन सुविधाओं जैसे रेफ्रिजरेटेड और इंसुलेटेड ट्रक, ऑटो रिक्शा, मोटर साइकिल और आइस
बॉक्स वाली साइकिलों की 17,499 इकाइयों को मंज़ूरी दी गई
▶ फिश मार्केट्स और फिश मोबाइल मार्केट्स की 6,812 इकाइयों को मंज़ूरी दी गई
▶ 12,430 मछुआरों के घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई
▶ प्रतिवर्ष 46.8 लाख मछुआरों को बीमा कवर प्रदान किया जाता है।
▶ मछली पकड़ने की लीन/प्रतिबंध अवधि के दौरान बचत-सह-राहत घटक के अंतर्गत प्रतिवर्ष 2.43 लाख
मछुआरों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
▶ 63,290 मत्स्य किसानों और अन्य हितधारकों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।










