मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में दो विभाग हैं: अर्थात मत्स्यपालन विभाग और पशुपालन और डेयरी विभाग।
मत्स्यपालन विभाग भूतपूर्व पशुपालन, डेयरी और मात्स्यिकी प्रभाग को अलग करके मंत्रिमंडल सचिवालय की दिनांक
5 फरवरी, 2019 की अधिसूचना संख्या 1/21/21/2018-कैब के द्वारा अस्तित्व में आया।
यह विभाग श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, माननीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री
के समग्र प्रभार में है। उनकी सहायता के लिए दो राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, केन्द्रीय मत्स्यपालन,
पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा श्री जॉजा कुरियन, केन्द्रीय मत्स्यपालन,
पशुपालन एवं डेयरी तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं।
इस विभाग के प्रशासनिक अध्यक्ष, सचिव (मत्स्यपालन) हैं। सचिव (मत्स्यपालन) की सहायता के लिए दो संयुक्त
सचिव हैं, अर्थात अंतर्देशीय और समुद्री मात्स्यिकी प्रभाग।
विभाग के कार्य
यह विभाग अंतर्देशीय, समुद्री और तटीय मात्स्यिकी तथा मात्स्यिकी संस्थानों के विकास से संबंधित
नीतियों और योजनाओं के निर्माण से संबंधित मामलों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें इसके चार अधीनस्थ
संस्थान और एक स्वायत्त निकाय और एक नियामक प्राधिकरण शामिल हैं।
विभाग राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को मात्स्यिकी के क्षेत्र में नीतियों और कार्यक्रमों को
तैयार करने में परामर्श देता है।
विभाग के अधीन कार्यरत अधीनस्थ कार्यालय / मात्स्यिकी संस्थान
मत्स्यपालन विभाग (DoF) के नियंत्रणाधीन चार संस्थान / अधीनस्थ कार्यालय हैं। ये संस्थान हैं —
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भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण (FSI), मुंबई
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केंद्रीय मत्स्य नौवहन एवं इंजीनियरिंग प्रशिक्षण संस्थान (CIFNET), कोच्चि
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राष्ट्रीय मात्स्यिकी पोस्ट-हार्वेस्ट प्रौद्योगिकी एवं प्रशिक्षण संस्थान (NIFPHATT), कोच्चि
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केंद्रीय मात्स्यिकी तटीय इंजीनियरिंग संस्थान (CICEF), बेंगलुरु
इन चार संस्थानों के अलावा, मत्स्यपालन विभाग के पास दो स्वायत्त/नियामक निकाय भी हैं —
• राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB), हैदराबाद
• तटीय जलकृषि प्राधिकरण (CAA), चेन्नई
उन्नत और टिकाऊ मत्स्य उत्पादन के लिए प्रमुख पहलें
मात्स्यिकी क्षेत्र की क्षमता को देखते हुए तथा नीली क्रांति की सफलता को आगे बढ़ाने और इस क्षेत्र पर
विशेष ध्यान देने के लिए मत्स्यपालन विभाग प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का
क्रियान्वयन कर रहा है।
इस योजना का उद्देश्य —
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मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में कमियों को कम करना
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नवीन एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का समावेश
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पोस्ट-हार्वेस्ट अवसंरचना एवं प्रबंधन
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मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण
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ट्रेसबिलिटी
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एक मजबूत मात्स्यिकी प्रबंधन ढांचे की स्थापना
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मछुआरों का कल्याण
भारतीय मात्स्यिकी क्षेत्र – वर्तमान परिदृश्य
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है और वैश्विक उत्पादन में भारत का योगदान
9.64% है।
वित्त वर्ष 2022–23 के दौरान कुल अनुमानित मत्स्य उत्पादन 17.54 मिलियन मीट्रिक टन रहा —
- 13.11 मिलियन मीट्रिक टन — अंतर्देशीय क्षेत्र
- 4.43 मिलियन मीट्रिक टन — समुद्री क्षेत्र
विगत पाँच वर्षों में मात्स्यिकी क्षेत्र में औसत वार्षिक वृद्धि दर 6.7% रही है।
भारत जलकृषि के माध्यम से मत्स्य का एक प्रमुख उत्पादक भी है और चीन के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन देश के कुल मत्स्य उत्पादन का लगभग 75% है।










